चारोळ्या
इटुकल्या
धिटुकल्या
मटक्यांना
राग झाला अनावर
जरा बांधून
ठेवलं तर
तलवारी
उपसल्या
सरासर ।। 1
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ढगांच्या
धक्कबुक्कीत
वीज बिचारी सापडली
काडकडाड
आवाज करत
मोडून जमिनीवर
पडली ।। 2
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मटाराच्या
शेंगेमध्ये
झोपली एक आळी
दार केलं बंद तिने गुपचिळीमिळी
शेंग उघडली आईने तेंव्हा
आळस देत बोलली,
`` नका दार उघडू कोणी, होती रात्रपाळी ।। 3
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मटाराच्या
शेंगेत
। बसले आठ दाणे
खुशालचेंडु
म्हणतात
। आहोत चार दुणे
वीस मधून करणार । पाहुणे
किती उणे
शेंगेमधे बसाया । आम्ही आठ दाणे ।। 4
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#लेखणीअरुंधतीची -
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